आज सुबह नींद खुली तो कुछ-कुछ मानसिक और शारीरिक टाइप के आलस्य की अनुभूति हुई, लेकिन मन को समझा करके निकल लिया, माने मार्निंग वाक हेतु। हां, वैसे भी शरीर और मन पर विजय प्राप्त करने की कोशिश करते रहना चाहिए। और यह समझना भी जरूरी है कि जब हमें अपने शरीर की अनुभूति होने लगे तो मान लेना चाहिए कि हमारा शरीर अस्वस्थ है तथा हमें अपने स्वास्थ्य की चिंता शुरू कर देनी चाहिए। लेकिन मन का तरीका कुछ दूसरा है, जब मन 'मैं' के रूप में अपना अहसास कराता है तो ऐसे मन को 'रुग्ण' मान लेना चाहिए, क्योंकि यह मन हमें शरीर और बुद्धि से निष्कृय बनाकर 'अकर्मी' यानी आलसी बना देता है, ऐसे मन को न पहचान पाने वाला व्यक्ति रोगी हो जाता है। खैर..
अभी पिछले दिनों स्पेंसर के एक रिटेल स्टोर पर पत्नी के साथ मैं कुछ घरेलू सामान खरीदने गया था, किसी चीज को मैं उलट-पलटकर देख ही रहा था कि अचानक एक लड़का हमारे पास आकर उस चीज के बारे में जानकारी देने लगा था। शक्लोसूरत से वह गरीब परिवार का प्रतीत हुआ। मैं यूं ही उससे पूंछ बैठा था, 'तुम यहां काम करते हो?'
वह लड़का स्पेन्सर के उस रिटेल स्टोर पर प्रतिदिन अपराह्न तीन बजे से रात के आठ बजे तक काम करता है। इसके लिए उसे छह हजार रूपए मिलता है। मैंने उससे फिर पूंछा था, 'इसके पहले क्या करते हो?'
इसके पहले वह लड़का बारहवीं की पढ़ाई के लिए स्कूल जाता है। वह जीव विज्ञान के साथ विज्ञान विषय पढ़ रहा है। अब मैंने थोड़ा आश्चर्यमिश्रित स्वर में उससे पूंछा था, 'अच्छा..! तो..आगे तुम्हारा इरादा क्या है?'
वह लड़का डाक्टर बनना चाहता है, जो लखनऊ में अपने किसी रिश्तेदार के यहां रहता है। मैंने मन ही मन उसके जज्ब़े को सलाम किया। निश्चित ही उस बच्चे का मन ही है जो उसे साकारात्मक सोच से लबरेज़ किये हुए है और कठिन परिस्थिति में भी उसे राह मिल रही है। मैंने उससे पूंछकर उसकी एक तस्वीर ले ली थी। खैर..
मन में चल रही इन्हीं बातों के साथ मैं दो हजार कदम चल चुका था। अब वापस लौट पड़ा। लौटते हुए मैंने उस डिवाइडर वाली सड़क पर देखा कि मेरे सामने विपरीत दिशा से एक कुत्ता चला आ रहा है| कुत्ता सड़क पर चलने के नियमों का पालन नहीं कर रहा था। फिर भी वह अपने से बायीं ओर ही चल रहा था। अनजाने में ही सही, उसका मन उसे सही ढंग से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था। यदि किसी को ऐसा भी मन मिल जाए तो भी उसके लिए धन्यभाग !!
#चलते_चलते
किसी चीज का अहसास न होना भी एक तरीके का अहसास ही है, बस ऐसे अहसास पर ध्यान जाना आवश्यक है।
#सुबहचर्या
अभी पिछले दिनों स्पेंसर के एक रिटेल स्टोर पर पत्नी के साथ मैं कुछ घरेलू सामान खरीदने गया था, किसी चीज को मैं उलट-पलटकर देख ही रहा था कि अचानक एक लड़का हमारे पास आकर उस चीज के बारे में जानकारी देने लगा था। शक्लोसूरत से वह गरीब परिवार का प्रतीत हुआ। मैं यूं ही उससे पूंछ बैठा था, 'तुम यहां काम करते हो?'
वह लड़का स्पेन्सर के उस रिटेल स्टोर पर प्रतिदिन अपराह्न तीन बजे से रात के आठ बजे तक काम करता है। इसके लिए उसे छह हजार रूपए मिलता है। मैंने उससे फिर पूंछा था, 'इसके पहले क्या करते हो?'
इसके पहले वह लड़का बारहवीं की पढ़ाई के लिए स्कूल जाता है। वह जीव विज्ञान के साथ विज्ञान विषय पढ़ रहा है। अब मैंने थोड़ा आश्चर्यमिश्रित स्वर में उससे पूंछा था, 'अच्छा..! तो..आगे तुम्हारा इरादा क्या है?'
वह लड़का डाक्टर बनना चाहता है, जो लखनऊ में अपने किसी रिश्तेदार के यहां रहता है। मैंने मन ही मन उसके जज्ब़े को सलाम किया। निश्चित ही उस बच्चे का मन ही है जो उसे साकारात्मक सोच से लबरेज़ किये हुए है और कठिन परिस्थिति में भी उसे राह मिल रही है। मैंने उससे पूंछकर उसकी एक तस्वीर ले ली थी। खैर..
मन में चल रही इन्हीं बातों के साथ मैं दो हजार कदम चल चुका था। अब वापस लौट पड़ा। लौटते हुए मैंने उस डिवाइडर वाली सड़क पर देखा कि मेरे सामने विपरीत दिशा से एक कुत्ता चला आ रहा है| कुत्ता सड़क पर चलने के नियमों का पालन नहीं कर रहा था। फिर भी वह अपने से बायीं ओर ही चल रहा था। अनजाने में ही सही, उसका मन उसे सही ढंग से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा था। यदि किसी को ऐसा भी मन मिल जाए तो भी उसके लिए धन्यभाग !!
#चलते_चलते
किसी चीज का अहसास न होना भी एक तरीके का अहसास ही है, बस ऐसे अहसास पर ध्यान जाना आवश्यक है।
#सुबहचर्या
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