पुराना वर्ष बीते और नया वर्ष शुरू हुए लगभग एक घंटा हो गया था। मैं बस से उतर कर घर के लिए अाटो तलाशता हुआ शहर की सड़क पर चला जा रहा था। अचानक पीछे से तेज ध्वनि करते हुए कुछ बाइकर्स तीव्र गति के साथ आते हुए दिखाई दिए मैं हड़बड़ाहट के साथ सड़क के एकदम किनारे हो लिया। एक-एक बाइक पर तीन-तीन सवार सभी "हा..हू.." करते हुए उसी गति के साथ मोटरसाइकिल को आड़े-तिरछे घुमाते आते-जाते वाहनों और लोगों से बेपरवाह आँखों से ओझल हो गए। मैं तो डर ही गया था..!
खैर, तभी मेरे बगल में एक आटो वाला आ कर रूका, उससे बातचीत हुई रिजर्व चलने के लिए तैयार था लेकिन किराया मेरे अनुमान से तीस रूपया अधिक बताया, जिसे सुन मैं आगे बढ़ चला। उसने आटो आगे बढ़ाकर मेरे बगल में रोकते हुए पूँछा, "अच्छा आप क्या देंगे?" मैंने किराया बताया तो फिर वह यह कहते हुए चलने के लिए तैयार हो गया कि "आप पहली सवारी हो और मैं पहली सवारी नहीं छोड़ता।" और मुझे लेकर चल पड़ा।
उस नए साल के आगाज वाली आधी रात को रेलवे स्टेशन और बस अड्डे की भीड़-भाड़ से निकल हमारा आटो घर के रास्ते की ओर दौड़ रहा था। एक चौराहे पर उसने कुछ क्षणों के लिए आटो रोक कर तमाम कारों, मोटरसाइकिलों को गुजर जाने की प्रतीक्षा भी की। उस चौराहे से आगे बढ़ने के बाद उसने मुझसे कहा,
"ये सब नया साल मना कर लौट रहे हैं..बहुत भीड़ थी..लाखों की..!" मैंने सोचा, मतलब शहर के मुख्य चौराहे से ये सारे वाहन लौट रहे थे।
मुझे भीड़ को लेकर थोड़ा आश्चर्य हुआ मैंने पूँछा, "वहाँ गए थे क्या?"
"हाँ साहब! उधर से ही मैं आ रहा था, यही नहीं वहाँ से थोड़ी दूर पहले मैंने देखा सड़क के डिवाइडर से टकरा कर दो नवयुवक गिरे पड़े थे उनमें से एक तो शायद मर गया था लेकिन दूसरा बेहोश था उसकी साँसें चल रही थी!" आटोवाले ने बताया।
"अच्छा!! पता नहीं किसके घर के रहे होंगे?" चौंक कर मैंने कहा।
"रहे होंगे किसी के घर के! लेकिन ऐसे अवारा टाइप के लड़के गैर जिम्मेदार ही होते हैं।"
आटो वाले की बात सुन मुझे उन बाइकर्स का ध्यान हो आया जिनसे बस से उतरते ही सामना हुआ था। आटोवाले ने फिर कहना शुरू किया -
"जहाँ मैंने आपको बैठाया था उसी के पास कुछ देर पहले ऐसे ही मोटरसाइकिल लेकर दो लड़के एक इनोवा कार से भिड़ गए थे एक तो इनोवा कार का शीशा तोड़ते हुए उसके अन्दर चला गया था पता नहीं मरे कि बचे? " साहब ये हाल है इन आवारा लफंगों की।
"जब ये नए लड़के मस्ती में होते हैं तो इसके अंजाम से अनजान ऐसे ही उठाईगीरी करते हैं।" मैंने कहा।
"वहाँ चौराहे पर तो गजब था..खूब जोर-जोर से डीजे बज रहा था.. लड़के-लड़कियां सभी डीजे के साथ डांस कर रहे थे..कुछ लड़कियाँ तो सिगरेट पीते हुए भी नाच रहीं थी "
आटो-ड्राइवर की इस बात पर मैंने कहा,
"पता नहीं किसके घर की ये लड़कियां होती हैं कि लोग इतनी छूट देते होंगे और ध्यान नहीं देते?"
"ये बड़े घर की लड़कियाँ हैं, डाक्टर-इंजीनियर के घर की हैं..उधर वो कमाने में लगे हैं कि सात पीढ़ियां बैठकर खाएँ और इधर इनके बच्चे गुलछर्रे उड़ा रहे हैं.."
मैंने सोचा कि यह ड्राइवर अभी डाक्टर इंजीनियर के ही पीछे है, जैसे बाकी के बारे में इसे पता ही नहीं कि यहाँ डाक्टर इंजीनियर के भी बाप बैठे हैं! तभी आटो-ड्राइवर फिर बोला-
"यहाँ अपने भाग्य में रोज पानी पीने के लिए कुँआ खोदना पड़ता है! रोज कमाना रोज खाना..हम लोगों के भाग्य में कोई जशन-वशन नहीं लिखा है..जो जितना लूटता है वही उतना ही जशन मनाता है।"
इधर मैं उसकी बातों में खोता कि मेरा घर आ गया था।आटो रोकने के लिए बोला। मेरे किराया चुकाते समय उसने कहा -
"साहब! इलाका तो बढ़िया है लेकिन वही रास्ता ही खराब है।"
मैंने कहा "हाँ कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है नाली वगैरह बनने दें तब न बने..पिछली बार बना था लेकिन जल्दी ही खराब हो गया।"
मैंने सोचा अकसर रास्ता ही तो खराब होता है! कोई मन्दिर बनाकर तो कोई मस्जिद बनाकर इसे अतिक्रमित किए रहता है, इसी पर तो कोई ध्यान नहीं देता, नहीं तो इलाके सब बढ़िया ही होते हैं।
आटोवाले को घुर्र-घुर्र कर वापस लौटते हुए मैं देख रहा था.. फिर मैंने घर की घंटी बजाई।
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